मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

सूचना लेखन (INFORMATION WRITING)

 प्रिय विद्यार्थियो!!

कैसे हैं आप सभी? बढ़िया... तो चलिये आज का आलेख शुरु करते हैं।

    बच्चों सोचकर तो देखिए कि विद्यालय से आप तक आने वाली सूचना कि कल छुट्टी है या कल परीक्षा है, यदि आप तक न पहुँचे या गलत पहुँचे तो क्या होगा? सोचो, यदि कोरोना के कारण होने वाले lockdown की सूचना हम तक न पहुँचती, तो हमारा क्या होता? और सोचो, यदि नोटबंदी करने के बाद भी माननीय प्रधानमंत्री जी हमें रात आठ बजे सूचना न देते, तो हमारे घर में रखे उन तमाम 500-1000 के नोटों का क्या होता? वे तो रखे-रखाए ही खतम हो जाते। इसलिए हम सभी के जीवन में एक बहुत महत्त्वपूर्ण किरदार निभाती है यह सूचना। हमारे जीवनरूपी रंगमंच का यह इतना महत्त्वपूर्ण किरदार है कि मात्र इसके संचार के लिए, एक पूरा सूचना तंत्र (Information Technology) को विकसित किया गया हैं आज इसी सूचना के बारे में जानेंगे कि यह सही तरीके से कैसे लिखी जाती है।

    सूचना लिखने का तरीका बताएँ उसके पहले आपको यह बता देते हैं कि दसवीं कक्षा में सूचना लिखने के कुल 4 अंक मिलते हैं जिसकी जानकारी इसप्रकार है

  • सूचना का प्रारूप - 1
  • विषयवस्तु           - 2
  • भाषा                   - 1

अब सुनिए, सूचना लिखते समय हमें इन आठ बिंदुओं का ध्यान अवश्य रखें-

1. सबसे पहले एक बॉक्स बनाएँ।

2. इस बॉक्स में सबसे ऊपर सूचना जारी करने वाली संस्था का नाम, स्थान का नाम लिखें।

जैसे-  (रोटरी क्लब, अ ब स नगर/ अ ब स स्कूल, क ख ग नगर)

3. फिर “आवश्यक सूचना” लिखें।

4. कोष्ठक में विषय का संक्षिप्त में उल्लेख

जैसे- (नि:शुल्क स्वास्थ्य- जाँच शिविर का आयोजन)

5. दिनांक-………………………(बाईं ओर या दाईं ओर)

6. (अगली पंक्ति से औपचारिक आरंभ करें) सभी नगरवासियों/ सेक्टरवासियों को सूचित किया जाता है कि…………………..

(इसके आगे विषय को स्पष्ट करने के लिए विषय के अनुरूप कब, कहाँ, क्या, किसलिए आदि प्रश्नों के उत्तर देते हुए लगभग 60 शब्दों में विषयवस्तु का विस्तार करें)

7. तत्पश्चात् हस्ताक्षर करें (विद्यार्थी यहाँ अपना नाम न लिखें, सांकेतिक हस्ताक्षर करें या केवल हस्ताक्षर लिख दें)

8. अब आखिरी में पद का उल्लेख (यहाँ विषय के अनुसार अध्यक्ष/प्रधानाचार्य/ छात्रसंघ अध्यक्ष/ ज़िलाधिकारी आदि लिखना है। 

सूचना लेखन का प्रारूप

     तो बच्चो!! हमेशा इस बात का ध्यान रखना कि हमारी सूचना लिखित हो या मौखिक, वह स्पष्ट, सरल और विनम्र भाषा में होनी चाहिए अन्यथा होनी को अनहोनी बनते देर न लगेगी।

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