गुरुवार, 1 मई 2025

बड़े भाई साहब (BADE BHAISAHAB)

बड़े भाई साहब

- प्रेमचंद

1. कथानायक की रुचि किन कार्यों में थी?

कथानायक की रुचि यों तो छोटे भाई की तरह सभी खेलकूद में, मैदानों की सुखद हरियाली में, कनकौए उड़ाने में,  कंकरियाँ उछालने में, कागज़ की तितलियाँ बनाकर उड़ाने में, चहारदीवारी पर चढ़कर ऊपर-नीचे कूदने आदि में ही हुआ करती थी पर वे बड़े थे और अपने छोटे भाई को बेराह नहीं चलना चाहते थे इसलिए वे अपनी रुचि पढ़ने लिखने के रूप में प्रदर्शित करते थे। 

2. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्‍यों दबानी पड़ती थीं?

बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं क्योंकि उन्हें अपने नैतिक कर्तव्य का ज्ञान था। वे ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहते थे जिससे उनके छोटे भाई पर बुरा असर पड़े।  अतः बड़े भाई होने के नाते वे अपने छोटे भाई के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहते थे और इसलिए उन्हें अपने मन की इच्छा दबानी पड़ती थी। 

3. बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्‍या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी बांधाई।

बिन साबुन पानी बिना निर्मल करे सुभाई॥

बड़े भाई साहब छोटे भाई के जीवन में निंदक की तरह थे इसलिए ही बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती तो छोटा भाई कक्षा में अव्वल नहीं आता क्योंकि बुद्धि में अच्छा होने पर भी वह पढ़ाई में बिलकुल ध्यान नहीं देता था। यह बड़े भाई की डाँट-फटकार का ही अप्रत्यक्ष परिणाम था कि छोटा भाई थोड़ा बहुत पढ़कर ही कक्षा में अव्वल आ जाता था। 

 4. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

हाँ! मैं लेखक के विचारों से सहमत हूँ तथा उन्होंने शिक्षा जिन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है वे इसप्रकार हैं-

1. व्यावहारिक शिक्षा को पूरी तरह नजर अंदाज किया है।

2. बच्चों के ज्ञान कौशल को बढ़ाने की जगह उसे रट्टू तोता बनाने पर जोर दिया गया है जो कि सर्वाधिक अनुचित है।

3. परीक्षा प्रणाली में आंकड़ों को महत्त्व दिया गया है। बच्चों के सर्वागीण विकास की ओर शिक्षा प्रणाली कोई ध्यान नहीं देती है।

    परंतु अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली में बदलाव का प्रयास किया है यह कितना सार्थक रूप लेगा यह देखने योग्य है।

5. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

बड़े भाई के अनुसार जीवन की समझ ज्ञान के साथ अनुभव और व्यावहारिकता से आती है, मात्र पुस्तकीय ज्ञान से नहीं। हमारे बड़े-बुजुर्गों ने भले कोई किताबी ज्ञान नहीं प्राप्त किया था परन्तु अपने अनुभव और व्यवहार के द्वारा उन्होंने अपने जीवन की हर परीक्षा को सफलतापूर्वक पार किया। अत: पुस्तकीय ज्ञान और अनुभव के तालमेल द्वारा जीवन की समझ आती है।

6. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा कब और क्यों उत्पन्न हुई?

छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा तब उत्पन्न हुई जब उसे पता चला कि उसके बड़े भाई साहब मात्र उसे सही राह दिखाने के लिए अपनी कितनी ही इच्छाओं का दमन करते थे। 

7. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?

वे गंभीर तथा संयमी किस्म का व्यक्तित्व रखते थे तथा अपने उत्तरदायित्वों को अच्छी तरह समझते थे इसलिए अपने छोटे भाई को सही मार्ग पर लगाने के लिए उन्होंने अपनी कितनी ही इच्छाओं का दमन तक कर दिया था।

          बड़े भाई साहब कुशल वक्‍ता थे वे छोटे भाई को अनेकों उदाहारणों द्वारा जीवन जीने की समझ दिया करते थे।

          बड़े भाई साहब परिश्रमी विद्यार्थी थे। एक ही कक्षा में तीन बार फेल हो जाने के बाद भी उन्होंने पढाई से अपना नाता नहीं तोड़ा। 

8. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि - 

(क) छोटा भाई अपने भाईसाहब का आदर करता है।

निम्नलिखित बातों से पता चलता है कि छोटा भाई अपने भाईसाहब का आदर करता है-

·       छोटा भाई अपने बड़े भाईसाहब के डाँटने पर कभी पलटकर जवाब नहीं देते थे।

·       स्वयं के कक्षा में अव्वल आने पर और बड़े भाईसाहब के फेल होने पर भी उन्हें कभी खरी खोटी नहीं सुनाई।

·       खेलकूद इत्यादि सारे काम बड़े भाई से बचकर करता था और पकड़े जाने पर उसे अपनी गलती मानता था।  

(ख) भाईसाहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

भाईसाहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है। पाठ के अंतर्गत हमें यह तब पता चलता है जब कनकौए लूटते वक्त उन्होंने छोटे भाई को डाँट लगाई। उस डाँट में यह स्पष्ट झलकता था कि भले ही वे कक्षा में तीन बार फ़ेल क्यों न हुए हों पर उन्हें जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

(ग) भाईसाहब के भीतर भी एक बच्चा है। (घ) भाईसाहब छोटे भाई का भला चाहते हैं। 

भाईसाहब के भीतर भी एक बच्चा है पाठ के अंतर्गत हमें यह तब पता चलता है जब कनकौया लूटते समय वे छोटे भाई से वे अपने मन के भावों को व्यक्त करते हैं और कहते हैं कि मेरा भी जी ललचाता है; लेकिन करूँ क्या,  खुद बेराह चलूँ, तो तुम्हारी रक्षा कैसे करूँ?

          और इसी बात से यह भी पता चलता है कि छोटे भाई के प्रति जो व्यवहार भाईसाहब किया करते थे वह उसका भला चाहने के कारण करते थे न कि ईर्ष्या व द्वेष के कारण। 

9. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्‍यों महत्वपूर्ण कहा है? अथवा इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज है बुद्धि का विकास। आशय स्पष्ट कीजिए।

उपरोक्त पंक्ति का आशय यही है कि मात्र किताबी ज्ञान से जीवन नहीं जिया जा सकता जीवन जीने के लिए ज़िंदगी से मिलने वाले अनुभव ज्ञान की आवश्यकता होती है कुछ इसीतरह की बात कबीर ने भी अपने दोहे में लिखी है कि –

पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भय न कोई।

एकै आषिर पीव का, पढ़े सो पंडित होई॥

10. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था। आशय स्पष्ट कीजिए।

उपरोक्त पंक्ति का आशय यही है कि जीव की रुचि जहाँ होती है उसका पुरुषार्थ उसी दिशा में कार्य करता है फिर चाहे कोई कितना ही उसे डाँटा-फटकारा जाए, उस पर डाँट-फटकार का कोई असर नहीं होता है।   

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