गुरुवार, 27 मार्च 2025

पत्र; औपचारिक पत्र (FORMAL LETTER)

 प्रिय विद्यार्थियो !

            आशा करता हूँ कि आप सभी सकुशल होंगे। आज हम रचनात्मक लेखन में प्रचलित एक प्राचीन विधा पर चर्चा करेंगे। जिसका नाम है, पत्र लेखन। इस विधा का भूतकाल में बहुत प्रचलन था। जो अब मोबाइल फोन आने के बाद लगभग नहीं रहा। परंतु इसका अस्तित्व आज भी बरकरार है। हाँ! यह संदेश वहन करने में मोबाइल जैसा द्रुतगामी तो न था पर पत्र का इंतज़ार और उस इंतज़ार के बाद पत्र प्राप्ति का जो आनंद था वह अनुभव योग्य ही था।

यह अपने स्वरूप के आधार पर दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है-

1. औपचारिक

2. अनौपचारिक

इनमें से औपचारिक पत्र कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है। कोर्स-ए में तो औपचारिक पत्र के साथ अनौपचारिक पत्र वैकल्पिक प्रश्न के तौर पर उपस्थित रहता है। परंतु कोर्स-बी में यह अनिवार्य रूप से करना ही पड़ता है। इसलिए आज हम औपचारिक पत्र पर विशेष चर्चा करेंगे। यह परीक्षा में 5 अंक का स्थान लिए हुए है और इसकी अंक योजना इसप्रकार है-

·       प्रारूप (प्रारंभ व अंत की औपचारिकताएँ) -   1 अंक

·       विषयवस्तु-                                                     3 अंक

·       भाषा-                                                             1 अंक

प्रारूप (संक्षिप्त रूप में)

(1) प्रेषक का पता- जहाँ बैठकर पत्र लिख रहे हैं उस जगह का पता यथा- इलाका, शहर आदि।

(2) दिनांक- जिस दिन पत्र लिख रहे हैं उस दिन की दिनांक लिखनी चाहिए।

(3) ‘सेवा में’ लिख कर, पत्र प्राप्त करने वाले का पदनाम, विभाग तथा पता लिखना चाहिए।

(4) विषय- जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखना चाहिए।

(5) संबोधन- जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/होदया, माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें।

(6) विषयवस्तु- इसे तीन अनुच्छेदों में लिखना चाहिए-

पहला अनुच्छेद - “सविनय निवेदन यह है कि” से वाक्य आरंभ करना चाहिए, फिर अपने बारे में संक्षिप्त जानकारी देनी चाहिए।

द्वितीय अनुच्छेद- जिस अर्थ आप पत्र लिख रहे हैं, अपनी उस समस्या के बारे में लिखना चाहिए।

तृतीय अनुच्छेद- “आपसे विनम्र निवेदन है कि” लिख कर आप उनसे क्या अपेक्षा (उम्मीद) रखते हैं, उसे लिखना चाहिए।

(7) हस्ताक्षर व नाम- धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीया, प्रार्थी लिखकर अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।

नोट- बोर्ड परीक्षाओं में यदि नाम व पता आदि का उल्लेख न हो, तो हम उसके स्थान पर (अ ब स) या (च छ ज) आदि वर्णों का प्रयोग करते हैं।

प्रारूप (विस्तारित रूप में)

परीक्षा भवन

अ ब स विद्यालय

क ख ग नगर

(यदि परीक्षा पत्र में कोई अन्य पता निर्देशित किया गया है तो स्वयं का पता निर्देश अनुसार लिखे, अन्यथा परीक्षा में यह औपचारिक पत्र हम प्रायः परीक्षा भवन में बैठकर ही लिखते हैं अतः स्वयं का पता इसीप्रकार लिखें, जैसा ऊपर लिखा गया है।)

दिनांक- ...../....../...........

सेवा में

श्रीमान......................

...............................

...............................

प्राप्तकर्ता का पद विभाग/कार्यालय व नगर सहित (जी का प्रयोग करने से आदर का भाव समाहित हो जाता है, जैसे- ज़िलाधिकारी जी, प्राचार्या जी आदि)

विषय : ...............................................

महोदय ,

प्रथम अनुच्छेद

सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं आपके क्षेत्र का एक जागरूक निवासी हूँ तथा आपका ध्यान (संबंधित समस्या का उल्लेख करें, जैसे-जलापूर्ति/बिजली संकट/ बढ़ती कालाबाज़ारी आदि) की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ)

द्वितीय अनुच्छेद

आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि (विषयवस्तु विस्तार…………………………..)

(यहाँ लगभग 60 शब्दों में जन-जीवन/ विषय से जुड़ी दो-तीन समस्याओं/ बातों का उल्लेख अपेक्षित)

तृतीय अनुच्छेद

अत: आपसे अनुरोध है कि कृपया समुचित कार्यवाही करते हुए हम क्षेत्रवासियों को इस समस्या से छुटकारा दिलवाने का कष्ट करें। इस कार्य के लिए हम आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।

सधन्यवाद

भवदीय

अ ब स

    बच्चो ! विज्ञान और तकनीक की इस दुनिया में जब आपके हाथ में मोबाइल होगा तब इन पत्रों को भूल मत जाना क्योंकि यह आज भी अनेक भावनाओं को लिए उन तमाम जगहों पर जाने के लिए तैयार हैं, जहाँ अभी तक संचार के आधुनिकतम साधन नहीं पहुँचे हैं। आपने वो गीत तो सुना ही होगा...

संदेशे आते हैं....

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