तताँरा-वामीरो कथा
- लीलाधर मंडलोई
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) देखिए -
1- निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों
का क्या विश्वास है?
उत्तर:-
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का विश्वास है कि पहले
यह दोनों
द्वीप एक ही थे जो तताँरा वामीरों की असफल प्रेम की त्रासदी के फलस्वरूप दो
अलग-अलग द्वीपों में बदल गए।
2- तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:- तताँरा दिनभर के अथक परिश्रम करने के बाद समुद्र किनारे
टहलने निकलता है। उस समय सूरज डूबने का समय हो रहा था। समुद्र से ठंडी बयारें चल रही थी। पक्षियों
के घोसलों
में लौटने का समय भी हो चला था इसलिए उनकी आवाजें धीरे-धीरे कम हो गई
थीं। सूरज की अंतिम किरणें समुद्र पर प्रतिबिम्ब अंकित कर
रही थी।
3- वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन
आया?
उत्तर:- वामीरो के मिलने के पश्चात् तताँरा हर-समय वामीरो के ही
ख्याल में ही खोया रहता था। उसके लिए वामीरो के बिना एक पल भी गुजारना कठिन-सा हो गया था। वह शाम
होने से पहले ही लपाती की उसी समुद्री चट्टान पर जा बैठता, जहाँ वह वामीरो से पहली बार मिला था और पुनः-पुनः उसके आने
की प्रतीक्षा किया करता था।
4- प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस
प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर:- प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए मेले, पशु-पर्व कुश्ती, गीत संगीत आदि अनेक प्रकार के आयोजन किए जाते थे। जैसे पशु-पर्व में
हृष्ट-पुष्ट पशुओं का प्रदर्शन किया जाता था तो पुरुषों को अपनी शक्ति प्रदर्शन करने के लिए पशुओं
से भिड़ाया
जाता था। इस तरह के आयोजनों में सभी गाँव वाले भाग लेते थे और गीत-संगीत
के साथ भोजन आदि की भी व्यवस्था की जाती थी।
5- रूढियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही
अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- रूढियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही
अच्छा है क्योंकि तभी हम समय के साथ आगे बढ़ पाएगे। बंधनों में जकड़कर व्यक्ति और
समाज का विकास, सुख-आनंद, अभिव्यक्ति आदि रुक जाती है। यदि हमें आगे बढ़ना है तो इन रूढ़ीवादी
विचारधाराओं को तोड़ना ही होगा।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए -
1- जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति
भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर:- इस
पंक्ति का आशय यह है कि तताँरा अपने अपमान को सहन नहीं कर पाया। अपने अपमान को
शांत करने के लिए उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर धरती में अपनी तलवार घोंप दी। जिसके
परिणास्वरूप धरती दो टुकड़ों में बट गई।
2- बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की
तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर:- इस पंक्ति के जरिए तताँरा के मन की उधेड़बुन को दर्शाया गया
है। जो वामीरों से मिलने की प्रतीक्षा में वह बैचैन रहता था। उसकी प्रतीक्षा आशा
और निराशा के बीच झूलती रहती थी।
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