पतझर में टूटी पत्तियाँ
- रवीन्द्र केलेकर
1.
गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने
आदर्शों का हथियार बनाया। और फिर भारत छोड़ो, सत्याग्रह,
असहयोग आंदोलन, दांडीमार्च आदि सभी
आन्दोलनों को व्यावहारिकता के स्तर पर शुरु किया और उन्हें सत्य और अहिंसा के आदर्शों
के स्तर तक ले गए। जिसकारण उनके नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने उनके साथ कंधे से
कंधा मिलकर संघर्ष किया।
2.
आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- सत्य,
अहिंसा, परोपकार, ईमानदारी सहिष्णुता आदि मूल्य शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में भी इनकी
प्रासंगिकता बनी हुई है क्योंकि आज भी सत्य, और अहिंसा के
बिना राष्ट्र का कल्याण और उन्नति नहीं हो सकती है। शांतिपूर्ण जीवन बिताने के लिए
परोपकार,
त्याग, एकता, भाईचारा तथा देश-प्रेम की भावना का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि हम आज भी
परोपकार और ईमानदारी के मार्ग पर चले तो समाज को अलगाव से बचाया जा सकता है।
3. समाज के पास अगर शाश्वत
मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
उत्तर- इस पंक्ति का आशय यह है कि आदर्शवादी लोग समाज में आदर्श एवं मूल्यों की
स्थापना करते हैं। जब समाज एक आदर्श स्थापित करता है और जो सबके हित में सर्वमान्य
हो जाता है तो वही आदर्श मूल्य बन जाता है। जबकि व्यवहारिकता सिर्फ स्वहित देखती
है सर्वहित नहीं।
4. जब व्यावहारिकता का बखान
होने लगता है तब 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों' के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
उत्तर- इस पंक्ति का आशय यह है कि व्यावहारिक आदर्शवाद में यदि संतुलन न रखा जाय तो
व्यावहारिकता का बखान होने पर वह आदर्शों को गौण करने लगते हैं और व्यावहारिकता को
प्रमुखता देने लगते हैं और तब आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी होने लगती है।
5. लेखक के अनुसार सत्य
केवल वर्तमान है उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा?
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा इसलिए
कहा क्योंकि हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य
के सपने देखते हैं। इस तरह हम मात्र भूत और भविष्य की कल्पनाओं में ही खो जाते हैं
जबकि हमारे पास कुछ कर गुजरने का मौका वर्तमान में है। इसलिए कहा गया है कि भूत
को भूलो, वर्तमान सुधारो,
भविष्य अपने आप सुधार जाएगा।
6. हमारे जीवन की रफ़्तार
बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं,
बकता है। हम जब अके ले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार कड़
ते रहते हैं।
उत्तर- इस पंक्ति का आशय यह है कि जापान के लोगों के जीवन की गति इतनी तीव्र हो गई है
कि यहाँ लोग सामान्य जीवन जीने की बजाए असामान्य होते जा रहे हैं। जीवन की
भाग-दौड़, व्यस्तता तथा आगे निकलने की होड़ ने लोगों का सुख-चैन छीन लिया है। हर
व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पाने की होड़ में भाग रहा है। इसी कारण वे तनावपूर्ण
जीवन व्यतीत करते हैं।
7. सभी क्रियाएँ इतनी
गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से त्रगता था मानो जयजयवंती के सुर गुँज रहे हों।
उत्तर- इस पंक्ति का आशय यह है कि चाय परोसने वाले ने अपना कार्य इतने सलीके से किया मानो
कोई कलाकार बड़ी ही तन्मयता से सुर में गीत गा रहा हो।
8. अपने जीवन की किसी घटना
का उल्लेख कीजिए जब –
(क) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ
हो।
(ख) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
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